पेशाब में जलन और यूरिन इन्फेक्शन के नुकसान | Urinary Tract Infection In Women in Hindi
पेशाब की जलन और यूरिन इन्फेक्शन वयस्कों में होने वाली एक बहुत ही आम समस्या है। महिलाओं में यूरिन इन्फेक्शन के मामले मर्दों की तुलना में अधिक पाए जाते हैं। यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन को यूटीआई (UTI) के नाम से भी जाना जाता है। इसका मुख्य कारण बैक्टीरिया का संक्रमण (Infection) होता है। कुछ मरीजों में यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन फंगस या वायरस के द्वारा भी होता है। लगभग 40-45% महिलाओं और 10-15% पुरुषों में जीवन में एक बार या उससे अधिक कभी न कभी मूत्र मार्ग का संक्रमण या यूटीआई (UTI) अवश्य होता है।
मूत्र मार्ग संक्रमण या यूरिन इन्फेक्शन के नुकसान
यूटीआई (UTI) मूत्रमार्ग (Urethra), मूत्राशय (Urinary Bladder) और गुर्दों (Kidneys) को प्रभावित करता है। यूरिन इंफ्केशन के नुकसान से बचने के लिए इसको समय रहते जानना जरुरी है। यदि समय पर यूरिन इंफेक्शन का इलाज न किया जाये तो यह किडनी फ़ैल होने का कारण भी बन सकता है। बार बार यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन गुर्दे की पथरी का कारण भी बनता है। शारीरिक सम्बन्ध के बाद यह इन्फेक्शन एक से दुसरे साथी को बड़ी आसानी से ट्रांसफर हो जाता है।
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) के प्रकार
यूरिन इन्फेक्शन या UTI मुख्यता तीन प्रकार का होता है। यूरिनरी ट्रैक्ट इंफ्केशन, यूरिनरी ट्रैक्ट के किसी भी हिस्से को प्रबावित कर सकता है। और इसी आधार पर इसका विभाजन किया गया है।
यूरेथ्रिटिस (Urethritis) या मूत्र मार्क का इन्फेक्शन
यदि इन्फेक्शन केवल यूरेथ्रा या मूत्रमार्ग के निचले हिस्से को प्रभावित करता है तो इसको यूरेथ्रिटिस कहते हैं। यूरेथ्रा मूत्रमार्ग का सबसे अगला हिस्सा होता है। अक्सर पेशाब का इन्फेक्शन यूरेथ्रा से ही मूत्रमार्ग में प्रवेश करता है। पेशाब करते समय जलन और पेशाब के रस्ते में दर्द होता है।
सिस्टाइटिस (Cystitis) या मूत्राशय का इंफ्केशन
जब बैक्टीरिया या कोई और इन्फेक्शन मूत्रमार्ग से होता हुआ मूत्राशय (Urinary Bladder) में पहुँच कर मूत्रशय में इनफेक्शन फैलता है तो इसको सिस्टिटिस कहते है। दुसरे शब्दों में यूरिनरी ब्लैडर ले इंफ्केशन को सिस्टिटिस कहते हैं।
गुर्दे का इन्फेक्शन या पाइलोनेफ्रैटिस (Pyelonephritis)
बैक्टीरिया जब गुर्दे तक पहुँच कर वहां इन्फेक्शन फैलता है तो इसको पाइलोनेफ्रैटिस कहते है। या गुर्दे में यदि इन्फेक्शन के बाद सूजन आ जाये तो इसको पाइलोनेफ्रैटिस कहा जाता है। यहाँ मूत्रमार्ग के इन्फेक्शन की सबसे खतरनाक स्तिथि है। इसके कारण गुर्दे फ़ैल हो सकते हैं और मरीज की जान भी जा सकती है।
यूरिन इन्फेक्शन (UTI) के लक्षण
पेशाब में इन्फेक्शन या यूरिन इन्फेक्शन के बाद पेशाब में बहुत अधिक जलन होती है। मरीज को पेशाब करने में दर्द होता है। पेट की निचले हिस्से और कमर में असहनीय दर्द भी हो सकता है। पेशाब के इन्फेक्शन के लक्षण और गुर्दे की पथरी के लक्षण लगभग एक जैसे होते हैं। पेशाब का रंग मटमैला हो जाता है और पेशाब बार बार और थोड़ा थोड़ा आता है। मरीज को हलका या तेज़ बुखार भी होता है।
पेशाब में इन्फेक्शन के मुख्य लक्षण
- पेशाब में तेज़ जलन होना
- सर्दी और कंपकपी के साथ तेज़ बुखार आना
- पेशाब करते समय दर्द होना
- पेट के निचले हिस्से , मूत्राशय और पीठ में दर्द होना
- यूरिन का थोड़ा थोड़ा और रुक रुक कर आना
- मूत्र का रंग मटमैला या पीला हो जाना
- बदबूदार पेशाब आना
- पेशाब में खून आना
- जी मिचलाना और उलटी आना
यूरिन इन्फेक्शन के कारण
पेशाब या मूत्रमार्ग में इंफ्केशन फैलने के अनेको कारण हो सकते हैं जिनमे से मुख्य कारण यहाँ दिए गए है।
- असुरक्षित शारीरिक या यौन सम्बन्ध
- मधुमेह या ब्लड शुगर के मरीजों में यूरिन इन्फेक्शन अधिक होता है
- रोग परतोरोधक क्षमता की kami
- साफ़ सफाई न रखना
- मूत्राशय का पूरी तरह खली न होना
- पानी की काम मात्रा पीना
- प्रेगनेंसी
- गर्भनिरोधक का इस्तेमाल
- एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक उपयोग
- पब्लिक टॉयलेट्स का प्रयोग
- किसी दुसरे का तौलिया या अंडर गारमेंट्स का प्रयोग
यूरिन इन्फेक्शन कैसे होता है
अधिकांश यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होते हैं जिसमें ई कलाई (Escherichia coli) बैक्टीरिया सबसे कॉमन है। यह बैक्टीरिया मानव मल में पाया जाता है और कई बार या गुदा से मूत्राशय में चला जाता है। क्योंकि महिलाओं में गुदाद्वार और योनि काफी नजदीक होते हैं। इसलिए महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले यूरिन इन्फेक्शन अधिक होता है।
बार बार यूरिन इन्फेक्शन क्यों होता है
- सफाई का ध्यान न रखना।
- असुरक्षित यौन सम्बन्ध बनाना
- डॉक्टर के दुवारा दिए गए एंटी बायोटिक की अधूरी खुराक खाकर छोड़ देना। ऐसा करने से बैक्टीरिया के अंदर इस एंटी बायोटिक से लड़ने की क्षमता पैदा हो जाती है।
- पानी कम पीना
- रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि इम्युनिटी का कम होना
- माहवारी के समय सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल न करना
यूरिन इंफ्केशन में घरेलु उपाय | यूरिन इन्फेक्शन से बचाव
यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन को रोकने के लिए और यूरिन इन्फेक्शन से बचाव के लिए इन नियमों का पालन करें।
- प्रतिदिन कम से कम 5-6 लीटर पानी पिए। प्रति घंटा एक गिलास पानी सुबह जागने से सोते समय तक पियें
- अधिक पानी पीने से मूत्र बार आर आएगा तो उससे इंफ्केशन पेशाब के साथ शरीर से बहार निकलने में मदद मिलेगी
- सम्भोग या सेक्स के बाद मूत्र त्यागना यूरिन इन्फेक्शन को फैलने से रोकने में मदद करता है
- साफ़ सफाई का ध्यान रखने
- यदि आपके पार्टनर को पेशाब में जलन या उऋण इन्फेक्शन के लक्षण हैं तो सेक्स या सम्भोग से बचें
- खीरा काकड़ी तरबूज खरबूजा जैसी फल इस्तेमाल करें
- हरी मिर्च पालक और दूसरी हरी सब्जियों और सलाद का सेवन करें
यूरिन इन्फेक्शन में क्या नहीं खाना चाहिए
- बहुत धिका मीठा खाने से बचें
- अधिक शुगर वाले पेपदर्थों का प्रयोग न करें
- बहुत अधिक मसाले दार भोजन से बचें
- नशीले पदार्थों का सेवन न करें
- शराब सिगरेट और धूम्रपान से बचें
- कॉफ़ी का काम प्रयोग करें
यूरिन इन्फेक्शन की जाँच या यूरिन इन्फेक्शन टेस्ट नाम
यूरिन इन्फेक्शन को पता लगाने के लिए केवल एकमात्र यूरिन रूटीन जाँच काफो होती है। लक्षणों के आधार पर भी उऋण इन्फेक्शन को आसानी से पहचाना जा सकता है। यूरिन रूटीन टेस्ट में पेशाब के अंदर पस सेल्स अधिक मात्रा में आने लगती हैं और आरबीसी की मात्रा भी आने लगती है।
यह जानने के लिए की किस प्रकार के बैक्टीरिया के कारण यूरिन इन्फेक्शन हुआ यूरिन कल्चर एंड सेंसिटिविटी जाँच की जाती है। इस रिपोर्ट का रिजल्ट आने में 48- से 72 घंटे का समय लगता है। इससे यह पता लग जाता है की इंफ्केशन फ़ैलाने वाले बैक्टीरिया पर कौन से दवाई या एंटी बायोटिक अधिक कारगर होगी।
यूटीआई (UTI), यूरिन इन्फेक्शन का इलाज
यह मुख्यता एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन के कारण होता है इसलिए एंटी बायोटिक दवाई ही इसका मुख्य एलाज है। लेकिन साथ में कुछ ऐसी दवाइयां भी दी जाती हैं जो पेशाब की जलन को कम करने में सहायक होती हैं। इन दवाओं को अल्कालिज़ेर कहा जाता है। बुखार कम करने के लिए पेरासिटामोल की दवाई दी जाती है।
कोई भी जब्ती बायोटिक या दवाई अपने आप से न लें। पहले अपने डॉक्टर से सलाह मशवरा करें और डॉक्टर के द्वारा लिखी गयी दवाई की पूरी डोज लें।
यूरिन इन्फेक्शन का आयुर्वेदिक इलाज
यूरिन इंफ्केशन के इलाज में आयुर्वेदिक और यूनानी दवाइयां भी काफी सहायक हैं। लेकिन अगर बैक्टीरिया का इंफ्केशन है तो एलॉपथी दवाई के साथ आयुर्वेदिक और यूनानी दवाइयां भी लें। यह दवाइयां आपके किडनी को होने वाले नुक्सान से बचती हैं और पेशाब की जलन को कम करने में मदद करती हैं। जैसे-
- शरबत बज़ूरी 10-15 मिलीलीटर सुबह दिन में एक बार पानी के साथ
- टेबलेट नीरी 1 टेबलेट सुबह शाम पानी के साथ
- सिरप रेनलका 10 मिलीलीटर पानी के साथ दिन में 3 बार
यूरिन इन्फेक्शन Syrup का नाम
यूरिन इंफ्केशन में अल्कलीजेर सिरप प्रयोग में लाये जाते हैं। यह सिरप पेशाब की जलन को काम करने में मदद करते है। पेशाब में जलन होने का कारण होता है पेशाब या मूत्र का एसिडिक हो जाना। पेशाब की एसिडिटी को कम करने के लिए जो सिरप दिए जाते हैं उनको अल्कालिज़ेर कहते हैं जैसे – अलकासोल सिरप, रेनलका सिरप इत्यादि।
यूरिन इन्फेक्शन कितने दिन में ठीक होता है
यदि बीमारी या पेशाब के इन्फेक्शन का सही समय पर पता लगा लिया जाये तो यह 3-5 दिन में ठीक हो जाती है। लेकिन अगर इन्फेक्शन गुर्दों तक पहुँच जाये तो यह इलाज लम्बे दिनों तक भी जा सकता है।
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