निपाह वायरस का बढ़ता खतरा Nipah Virus in India in Hindi
अब वैज्ञानिकों को चमगादड़ो में निपाह वायरस के एंटीबाडीज मिले हैं है और हिन्दुस्तान में निपाह वायरस का बढ़ता खतरा दिखाई दे रहा है। निपाह वायरस ( Nipah virus ) को शार्ट में NiV भी कहते हैं। अभी केरल में कोविद -19 का खतरा टला भी नहीं है और निपाह वायरस ने दस्तक दे दी है । केरल में कई स्वस्थ्य कर्मियों में निपाह वायरस के लक्षण देखे गए हैं। केरल में एक 12 वर्षीय लड़के की मौत भी निपाह वायरस के कारण रजिस्टर की गयी है। निपाह वायरस को हलके में लेना बहुत बड़े खतरे की दावत देना होगा। हमें और हमारी सरकार की समय रहते सुरक्षा कदम लेने होंगे जिससे की आने वाले खतरे को रोका जा सके।
निपाह वायरस हिन्दुस्तान में कैसे आया
निपाह वायरस को सबसे पहले मलेशिया में 1998 में Pig Farmers और Pigs में देखा गया था।
उसके बाद हिंदुस्तान में सबसे पहले जनवरी 2001 में सिलीगुड़ी जिले में निपाह वायरस का पहला मरीज मिला
अप्रैल 2001 – ब्नाग्लदेश के मेहरपुर जिले में इसके मरीज मिले।
सन 2001 से 2011 के बीच निपाह वायरस का ऑउटब्रेक बांग्लादेश के कई हिस्सों में देखा गया जिसको मृत्यु दर 40% से लेकर 75% तक देखी गयी।
सन 2011 में लगभग 21 स्कूली बच्चों की मौत निपाह वायरस के कारण हो गई थी।
निपाह वायरस ऑउटब्रेक केरला में
मई 2018 में कालीकट केरला में लगभग 21 मौतें निपाह वायरस के कारण दर्ज की गयी
जून 2019 में फिर से केरला के एर्नाकुलम जिले में निपाह वायरस के मामले मिले
सितम्बर 2021 में एक 12 साल के लड़के की मौत निपाह वायरस के कारण हुई और कई सवस्थ कर्मियों में भी इस बीमारी के लक्षणा मिले जिससे हिंदुस्तान में इस बीमारी का खतरा बढ़ गया है।
निपह वायरस VS कोविद -19
हमें ये समझने की जरुरत है कि Covid-19 की भी सबसे पहली दस्तक भी हमें केरल से ही मिली थी। NIPAH VIRUS निपाह वायरस की मोर्टेलिटी रेट या मृत्यु दर कोविद -19 की mortality rate से बहुत अधिक है। अगर निपाह वायरस को समय रहते काबू नहीं किया गया तो ये कोविद -19 के मुकाबले बहुत ही भयावह स्तिथि होगी।
आप ये जानकर हैरान होंगे कि निपाह वायरस का मृत्यु दर करीब 50% से 75% तक है और covid-19 की मृत्यु दर 1-2% के बीच है। आप खुद अंदाजा लगा सकते की अगर निपाह वायरस की मृत्यु दर 75% तक है तो फिर हमारे सामने और हमारे बच्चों के सामने ये कितना बड़ा खतरा खड़ा है। कोविद -19 के लक्षण आने के बाद इसके नुक्सान आने में काम से काम 5 दिन लगते थे लेकिंग NIPAH VIRUS 24 से 48 घंटे में ही खतरनाक रूप धारण कर लेता है।
निपाह वायरस है क्या और कैसे फैलता है ?
Nipah Virus एक बहुत ही खतरनाक ज़ूनोटिक वाइरल बीमारी है जो जानवरों से इन्सानों में फैलती है। फ्रूट चमगादड़ (Fruit Bat) इसका मुख्य होस्ट (Host) है। निपाह वायरस का खतरा उन लोगों को अधिक है जो बीमार सूअर (Pigs) के कांटेक्ट में आते हैं या ऐसे लोग जो चमगादड़ के द्वारा झूठे फल खा लेते हैं। इन्फेक्टेड मरीज़ के कांटेक्ट में आने के बाद भी इस बीमारी का खतरा अधिक हो जाता है।
दिक्कत की बात ये है की इसका हमारे पास न तो कोई इलाज है और न ही कोई वैक्सीन। जबकि कोरोना वायरस के लिए फिर भी कुछ इलाज और बचाव के साधन उपलब्ध हैं।
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इसके शुरुआती लक्ष्णों में बुखार, खांसी, सर दर्द, सांस लेने में दिक्कत हो सकते हैं। बाद में मरीज़ कन्फूयजन की हालत में आ जाता है और कॉमा में भी जा सकता है। जिन लोगों को ये बीमारी होती है उनमे से करीब 50-75% लोगों की मौत हो जाती है। मौत का कारण होता है दिमाग की सूजन, दौरे पड़ना और शरीर के दूसरे अंगों के द्वारा काम करना बंद कर देना है।
बीमारी के लक्षण कब आते हैं
मरीज को इन्फेक्शन या वायरस के करीब अन्य के 5 से 14 दिन के बीच लक्षण आना शुरू हो जाते हैं। शुरुआत बोखार और सर दर्द से होती है और फिर मरीज बेहोशी और मेन्टल कन्फूयजन की और जाने लगता है।
सांस से समबन्धित लक्षण भी मरीज को आ सकते हैं लेकिन ये सारे मरीजों में कॉमन नहीं होती। दिमागी सूजन जिसको एन्सेफलीटीस कहते है बढ़ जाती है। मरीज पहले लक्षण आने के बाद 24 से 48 घंटे के अंदर ही कॉमा में जा सकता है। दिमाग की सूजन इस बीमारी का एक सबसे खतरनाक कम्प्लीकेशन है।
निपाह वायरस की जांच कैसे करते हैं
जब बीमारी अपनी एक्यूट पहेस में होती है तो निपाह वायरस का RNA भी RT-PCR टेस्ट के द्वारा गले के Swab, मरीज के पेशाब और Cerebrospinal fluid से डिटेक्ट किया जा सकता है। इस बीमारी का पता लगाने के लिए भी RT-PCR जांच कि जाती है।
बीमारी ठीक होने के बाद इस बीमारी के Antibodies (एंटोबोडिएस) जिनको IgG और IgM एंटीबाडीज कहते हैं मरीज के ब्लड से डिटेक्ट किये जा सकते हैं। जिससे ये पता लगता है कि किसी मरीज को ये बीमारी हो चुकी है या नहीं।
बचाव और इलाज क्या है
बचाव का एक ही तरीका है की ऐसे जानवरों के संपर्क में न आएं जिनसे बीमारी का खतरा है। क्यंकि ये बीमारी इन्फेक्टेड जानवरों के सम्पर्क में आने से ही फैलती है। साफ़ सफाई का ध्यान रखें। ऐसी फल न खाएं जहाँ चमगादड़ के वास की सम्भावना हो या चमगादड़ों ने फलों को झूठा किया हो।
इसका कोई सटीक इलाज नहीं है। सिर्फ लक्ष्णों के आधार पर निपाह वायरस का इलाज किया जाता है। एक वैक्सीन पर काम चल रहा है जिनको अभी इंसानों में टेस्ट करना बाकि है।
FAQ – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
निपाह वायरस कितने प्रकार का होता है ?
निपाह वायरस एक ज़ूनोटिक टाइप का RNA Virus है जो चमगादड़ में मुख्यता पाया जाता है । इसको NiV के नाम से भी जाना जाता है। निपाह वायरस चांगदों से इंसानों में फैलता है और फिर मनुष्य से मनुष्य में फैलने लगता है।
क्या नारियल पानी पीने से निपाह वायरस का खतरा है ?
अगर नारियल का फल बीमार चमगादड़ का झूठा नहीं है तो कोई खतरा नहीं है, दुसरे अगर नारियल का कवर पूरी तरह से जुड़ा है और पानी लीक नहीं हुआ है तब भी कोई खतरा नहीं है। बचाव के तौर पर जब भी नारियल पानी पियें , नारियल को अच्छे से धोकर ही प्रयोग करें।
आप से गुजारिश है कि अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें।
डॉ मुशर्रफ हुसैन
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Thank you for sharing information about nipah virus
Another warning from kerela Thank you Doctor for sharing this to us.