Mango for sugar patients

क्या शुगर के मरीज आम खा सकते हैं? मधुमेह के मरीज आम खाएं या न खाएं?

शुगर के मरीज आम खाएं या न खाये?

आम एक ऐसा फल है जिसे फलों का राजा कहा जाता है। गर्मी के मौसम का ये एक लाजवाब फल है जो अपनी मिठास और स्वाद दोनों के लिए के लिए जाना जाता है। एक सवाल सारे ही मधुमेह के मरीजों के मन में उठता है और उनका जी ललचाता है की क्या शुगर के मरीज आम खा सकते हैं या नहीं? तो आज हम इसी सवाल का डिटेल में जवाब देंगे कि क्या शुगर के मरीज आम खा सकते हैं या नहीं और अगर खा सकते हैं तो कितना?

सबसे पहले जान लेते हैं कि आम की कम्पोजीशन क्या है? तभी हम जान पाएंगे कि आम के अंदर कितनी मिठास है और कौन कौन से दूसरे जरुरी अवयव आम के अंदर पाए जाते हैं। तभी हम फैसला कर पाएंगे कि  शुगर के मरीज के लिए आम फायदेमंद हैं या इससे कुछ नुकसान भी हो सकता है। तो बने रहे मेरे साथ आखिर तक इस सवाल का जवाब जानने के लिए कि क्या शुगर के मरीज आम खा सकते हैं या नहीं।

इसमें लगभग 84% पानी होता है, 15% कार्बोहायड्रेट और करीब 1% प्रोटीन होता है। आम के 150 ग्राम में लगभग 20 ग्राम शुगर होता है।  इसके अलावा आम के अंदर विटामिन ए, विटामिन सी, मेग्नीशियम और पोटैशियम कि भी अच्छी मात्रा होती है।

मधुमेह के रोगियों को आम खाना चाहिए या नहीं?

आम का खट्टा मीठा स्वाद सभी को ललचाता है, आम के सीजन में हर घर में थैला भर के आम आते हैं लेकिन शुगर के मरीज अपना मन मार के रह जाते हैं क्योंकि ये एक आम धारणा बनी हुई है कि कोई भी मीठा फल खाना शुगर के मरीजों के लिए ठीक नहीं हैं। लेकिन ये पूरी सच्चाई नहीं है।

ये इस बात पर निर्भर करता है कि उस फल का ग्लिसेमिक इंडेक्स और ग्लिसेमिक लोड कितना है तभी हम ये समझ सकते हैं कि आम के फल को शुगर के मरीज खा सकते हैं या नहीं खा सकते हैं। अगर किसी फल का ग्लिसेमिक इंडेक्स या ग्लिसेमिक लोड ज्यादा होता है तो वो फल शुगर के मरीजों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। क्योंकि अधिक ग्लिसेमिक इंडेक्स वाले फलों को खाने से ब्लड शुगर के मरीजों का शुगर लेवल का लेवल  बहुत तेजी से बढ़ता है।

आपको एक उदाहरण से समझाता हूँ कि मान लो किसी फल का ग्लिसेमिक लोड 90 है तो इसका मतलब होगा कि उस फल या भोजन के अंदर जितना भी ग्लूकोस है उसका 90% ग्लूकोस करीब 2 घण्टे के अंदर ही आंतों से अब्सॉर्ब होकर खून में मिल जायेगा यानी शुगर लेवल बहुत तेज़ी से बढ़ेगा।

आम का ग्लिसेमिक इंडेक्स

आम का ग्लिसेमिक इंडेक्स लगभग 56 होता है जो माध्यम माना  जाता है।  इसका मतलब ये हुआ कि आम खाने से किसी भी शुगर के मरीज का ब्लड शुगर लेवल बहुत तेजी से नहीं बढ़ेगा यानि जितना भी ग्लूकोस आम के अंदर है उसका 56% ग्लूकोस आम खाने के दो ढाई घंटे में खून के अंदर मिल जायेगा।

तो क्या फिर शुगर के मरीज आम बिना झिझक और जितना चाहें खा सकते हैं? नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है, उसके लिए आपको पहले समझना होगा आम का ग्लिसेमिक लोड कितना होता है तभी आपको इस सवाल का सही जवाब मिल पायेगा कि शुगर के मरीज आम खा सकते हैं या नहीं ?

आम का ग्लिसेमिक लोड

किसी भी भोजन के ग्लिसेमिक लोड का मतलब होता है कि उस भोजन या फल की एक सर्विंग के अंदर कितने ग्राम ग्लूकोस है या ग्लूकोस कि कितनी मात्रा है मौजूद है। आम का ग्लिसेमिक लोड निकलने के लिए आपको आम कि एक सर्विंग के अंदर जो भी ग्लूकोस या शुगर कि मात्रा है उसको आम के ग्लिसेमिक इंडेक्स से गुणा करके 100 से भाग देना होगा, इसके बाद जो भी उत्तर मिलेगा वो आम का ग्लिसेमिक लोड होगा। एक बात और है अगर किसी फल का ग्लिसेमिक लोड 10 से कम है तो वो शुगर के मरीजों के सुरखित मने जाते हैं।

आम कि एक 150 ग्राम कि कटोरी में या एक सर्विंग में करीब 20 ग्राम ग्लूकोस होता है इस हिसाब से आम का ग्लिसेमिक लोड होता है 56×20/100 = 11 इसका मतलब ये हुआ कि शुगर के मरीज आम खा तो सकते हैं लेकिन कम और बहुत ही सीमित मात्रा में।

शुगर के मरीज एक दिन में कितना आम खा सकते हैं?

ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपका शुगर लेवल कितना है, अगर आपकी uncontrolled  है तो आपको अपने डॉक्टर कि सलाह के बगैर कोई भी मीठा फल नहीं खाना चाहिए।

लेकिन अगर आपका ब्लड शुगर कंट्रोल्ड है तो आप एक छोटा आम या लगभग 100 ग्राम आम एक दिन में खा सकते हैं इससे ज़्यादा आम खाने से आपका शुगर बढ़ सकता है इसलिए रिस बात का पूरा ध्यान रखें और अपनी दवाइयां रेगुलर कहते रहें।

एक बात का और धयान रखें कि जिस दिन आप कोई भी मीठा फल खाएं चाहें उसका ग्लिसेमिक लोड और ग्लुकेमिक लोड कम ही क्यों न हो उस दिन किसी दुसरे भोजन कि मात्रा जिसमे carbohydrate हो उसकी मात्रा को थोड़ा कम कर दें इससे आपका शुगर तेजी से नहीं बढ़ेगा।

आम स्वास्थ्य के लिए एक बढ़िया फल है इससे कई सरे फायदे मिलते हैं और शुगर के मरीज भी आम खाकर ये फायदे उठा सकते हैं लेकिन शुगर के मरीजों को आप कहते समय ये ध्यान रखना है की वो कितनी मात्रा खा रहे हैं। लेकिन आपको अपने डॉक्टर से सलाह मशवरा ज़रूर कर लेना चाहिए।


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