health insurance policy

हेल्थ इंशोरेंस पालिसी कंपनी ये सब नहीं बताती, हेल्थ पालिसी लेते समय ये 10 बातें याद रखें।

हेल्थ इंशोरेंस पालिसी खरीदते समय आपको कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। कंपनी आपको बहुत सी बातें नहीं बताती लेकिन हेल्थ इंशोरेंस पालिसी डॉक्यूमेंट में अवश्य लिखती है। जिसका नुकसान जानकारी के अभाव में आपको उठाना पड़ता है और काफी बड़ा अमाउंट इलाज के समय आपको अपनी जेब से देना पड़ता है। अगर आप हेल्थ इंशोरेंस पालिसीखरीदते समय अगर इन 10 बातों का ध्यान रखते हैं तो अपनी जेब पर पड़ने वाले बड़े भार से बच सकते हैं।

पालिसी की शर्तों को ध्यान पूर्वक पढ़ें

हेल्थ इंशोरेंस पालिसी लेते समय पालिसी की शर्तों को अच्छे से समझ लें और उनको ध्यान पूर्वक पढ़ें। हम पालिसी डॉक्यूमेंट यानि दस्तावेज़ के 20-25 पेज देखकर अपना समय बचने  के लिए जल्दी से हस्ताक्षर कर देते हैं। इंशोरेंस कम्पनी भी इन शर्तों को बारीक अक्षरों में लिखती है, और जब आप इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती होते हैं तो हेल्थ इन्शुरन्स पालिसी होने के बावजूद भी आपको अपनी जेब से पैसा देना पड़ता है

आपके पालिसी दस्तावेज़ में बहुत सी ऐसी शर्तें होती हैं जो आपके लिए बिलकुल नयी होती हैं और कई बार आप पढ़ने के बाद भी उनकी नहीं समझ पाते हैं। जैसे किसी इलाज पर कैपिंग (Capping) की शर्त का लगा होना, पालिसी में Co-pay की शर्त होना, mandatory decutions , Non-Payable खर्चे जो इन्शुरन्स कंपनी नहीं देती है, कितनी रकम का आपको कमरा लेना चाहिए, और pre-existing या पहले से किसी बीमारी के बारे में जानकारी न देना।

इन सभी पहलुओं पर हम यहाँ बात करेंगे जिससे आपको इलाज के समय अचानक से किसी बड़े नुक्सान का सामना न कारण पड़े।

हेल्थ इंसोरेंस पालिसी में सम्मलित नेटवर्क अस्पतालों के बारें में जानकारी रखें

जब भी आप हेल्थ इंशोरेंस पालिसी खरीदें तो यह भी ध्यान रखें की आपके आसपास के अच्छे अस्पताल आपकी पालिसी के नेटवर्क हॉस्पिटल्स की लिस्ट में शामिल है। अगर अस्पताल आपकी पालिसी के नेटवर्क अस्पताल की लिस्ट में है है तो आपको कैशलेस क्लेम का फायदा नहीं मिलेगा। ऐसी हालत में आपको पहले अपनी जेब से अस्पताल पुअर बिल अपनी जेब से पहले देना पड़ेगा, फिर आप बिल और दुसरे कागज़ात के साथ इंशोरेंस कंपनी के रैम्बुरसेमेन्ट (Reimbursement) के लिए भेजेंगे जिसमे काफी दिन लग जाते हैं और आपके लिए ये एक परेशानी का कारण भी बनता है। इसलिए इस बात का ज़रूर ध्यान रखें।

हेल्थ इंशोरेंस कंपनी का क्लेम प्रोसेस और ग्राहक सेवाएं

आपको ऐसी कंपनी का चुनाव करना चाहिए जिसके ग्राहक सेवा डिपार्टमेंट अच्छा हो, और कंपनी का क्लेम प्रेसिंग करने की रफ़्तार भी तेज़ हो। इसके लिए आप किसी ऐसे ग्रहक से ज़रूरर बात करें जिसने इस कंपनी से क्लेम ले रखा हो। कई बार बहुत सी इंशोरेंस कपनियां क्लेम पास करने में बहुत समय लगाती है और आपको अस्पताल में दिक्कतों का समाना करना पड़ता है।

इसलिए ऐसी हेल्थ इन्शुरन्स कंपनी का चुनाव करने जिसकी ग्राहक सेवा अच्छी हो और क्लेम पास करने की दर भी अच्छी हो।

हेल्थ इन्शुरन्स पालिसी का प्रीमियम और खर्च उठाने की अधिकतम सीमा

आपको ऐसी पालिसी खरीदनी चाहिए जो आपके अपरिवार पर आकस्मिक आने वाले खर्चों को वहन कर सके। दूसरी और ये भी ध्यान रखें की प्रीमियम अमाउंट उतना अधिक न हो जो आपके लिए अदा करना मुश्किल हो। प्रीमियम अमाउंट उस पैसे को कहते है जिसको अदा करके आप हेल्थ इंशोरनस पालिसी खरीदते हैं। और sum-insured वो अधिकतम पैसा होता जो इंशोरनस कंपनी आपको प्रीमियम अमाउंट के बदले इलाज के के खर्च के लिए देती है। इसलिए इन दोनों का संतुलन बनाकर रखे और आपके परिवार की ज़रूरत के हिसाब से इन दोनों बातों का चयन करें। आपको हेल्थ इन्शुरन्स पालिसी का प्रीमियम साल दर साल देना होता है इसलिए ये ध्यान रखना ज़रूरी है।

आजकल ऐसी पालिसी भी आने लगी हाँ जो एक साल क्लेम न लेने पर आपके Sum-Insured अमाउंट को दोगुना कर देती हैं जैसे HDFC ERGO इंशोरनस कंपनी का ऑप्टिमा रिस्टोर पालिसी । 

फॅमिली फ्लोटर पालिसी

दो प्रकार की हेल्थ इंशोरेंस पालिसी होती हैं, एक आपकी व्यक्तिगत ये इंडिविजुअल हेल्थ पालिसी होती है जिसमे केवल एक सदस्य ही पालिसी के अंदर कवर होता है। दुसरे प्रकार को पालिसी वो होती है जिसमे एक ही पालिसी के अंदर परिवक के सदस्य कवर होते हैं और पालिसी का पूरा पैसा किसी एक सदस्य ये बाकि सदस्यों पर खर्च किया जा सकता है। ऐसी पालिसी को फॅमिली फ्लोटर पालिसी कहते है। इसका फायदा ये होता है की आपको परिवार के अलग अलग सदस्यों के लिए अलग अलग पालिसी खरीदने की ज़रूरत नहीं होती और आप एक ही पालिसी पूरे परिवार के लिए लेते हैं। इसमें प्रीमियम का खर्चा भी काम आता है और इसको मेन्टेन कारण अभी आसान रहता है इसलिए फॅमिली फ्लोटर पालिसी क्क ही चुनाव करें।

मैटरनिटी कवरेज ये बच्चे के पैदा होने के खर्च का कवर

अब मार्किट में ऐसी पालिसी भी आने लगी हैं जो कुछ वेटिंग पीरियड के साथ आपको Individul या फॅमिली फ्लोटर पालिसी में मातृत्व और प्रसव के दुआरण होने वाले खर्चों भी वहां करती हैं। यह सुविधा पहले केवल कोर्पोर्टे पालिसी में ही मिलती थी अब बहुत सी इंशोरनस कंपनियां तय सुविधा सामान्य पालिसी में भी देने लगी हैं।

यदि अपने अभी शादी की है ये शादी का प्लान कर रहे हैं तो फिर मैटरनिटी कवरेज यानि Delivery और प्रेगनेंसी में होने वाले खर्च देने वाली पालिसी का ही चयन करें। यह पालिसी खरीदना आपके लिए फायदे का सौदा होगा।

कैपिंग (Capping Caluase) की शर्त वाली पालिसी

यह भी ध्यान देने वाली बात है की कहीं आपकी पालिसी में अलग अलग बीमारयों पर इंशोरेंस कम्पनी ने कोई पैसे की लिमिट तो नहीं लगा राखी है। कैपिंग का मतलब होता है की इंशोरेंस कम्पनी आपको किसी बीमारी के लिए पहले से तयशुदा पैसा जो पालिसी में लिखा है अदा करेगी। यदि अस्पताल का खर्चा इस बीमारी के लिए अधिक होता है तो बाकि पैसा आपको अपनी जेब से देना होगा। इसको एक उदाहरण से समझ लेते हैं, मान आपकी हेल्थ इंशोरनस पालिसी में हर्निया की बीमारी के लिए 50 हजार रुपए का कैपिंग लगा हुआ है और अस्पताल का बिल 75 हजार बनता है तो ऐसी हालत में 25 हजार रूपये आपको अपनी जे से देने पड़ेंगे चाहे आपकी पालिसी का टोटल Sum-Insured लिमिट 5 लाख ही क्यों न हो।

को-पे (Co-Pay Clause), कोपेमेंट यानि साझेदारी के साथ पेमेंट

कई बार इंशोरेंस कंपनी पालिसी के प्रीमियम अमाउंट को काम रखने के लिए पालिसी में Co-Pay की शर्त लगा देते हैं। इसका मतलब होता है को जितना भी अस्पताल का बिल बनेगा उसका तयशुदा हिस्सा आपको अपनी जेब से देना पड़ेगा। इसको भी एक उदाहरण से समझ लेते हैं। मान लो आपकी पालिसी डॉक्यूमेंट में 10% कोपेमेंट की शर्त है और आपका अस्पताल का बिल एक लाख रूपये का बनता है तो ऐसी हालत में आपको टोटल बिल का 10% यानी 10 हजार रूपये अपनी जेब से देना पड़ेगा और बाकि पैसा यानि 90 हजार इंशोरेंस कंपनी अदा करेगी।

 


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