dengue fever mosquito

डेंगू बुखार का नया स्ट्रेन है ज़्यादा ख़तरनाक | हड्डी तोड़ बुखार के लक्षण और बचाव

बहुत खतरनाक है डेंगू फीवर का नया वेरिएंट DENV-2 हड्डी तोड़ बुखार 

अभी कोरोना वायरस का खतरा पूरी तरह टला भी नहीं हैं, डेंगू बुखार ने कई राज्यों में दस्तक दे दी है और इसके कारण अस्पतालों में मरीजों का ताँता लगा हुआ है। जिसका कारण है डेंगू फीवर का नया वेरिएंट DENV-2 स्ट्रेन या D2 स्ट्रेन। यह सच है कि डेंगू बुखार का नया स्ट्रेन है ज़्यादा ख़तरनाक जो जानलेवा भी है। डेंगू बुखार को ही हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं क्योंकि इसमें मांसपेशियों और हड्डियों में बहुत अधिक दर्द होता है। जानें क्या हैं हड्डी तोड़ बुखार के लक्षण और बचाव। 

हड्डी तोड़ बुखार mosquito

 

 

डेंगू फीवर या हड्डी तोड़ बुखार एक तरह का वायरल फीवर है जो मादा एडीज एजिप्टी (Aedes Aegypti) मच्छर के काटने से होता है। डेंगू बुखार की मृत्युदर बहुत अधिक है और ये कहना गलत नहीं होगा की डेंगू फीवर मृत्युदर के मामले में कोरोना वायरस से भी अधिक ख़तरनाक है। 

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डेंगू फीवर या हड्डी तोड़ बुखार के लक्षण 

आमतौर पर डेंगू बुखार के लक्षण एक सामन्य बुखार की तरह ही होते हैं। जिस प्रकार से दुसरे वायरल बुखार 5-7 दिन तक रहते हैं उसी प्रकार डेंगू फीवर भी 5 से 7 दिन तक रहता है। इसके लक्षण मरीज़ को मच्छर काटने के 5-7 सात दिनों के बाद आना शुरू होते हैं जिसे इन्क्यूबेशन पीरियड कहते हैं। जब डेंगू का वायरस मरीज के शरीर में प्रवेश करता है, और जिस दिन मरीज को पहला लक्षण आता है इस समय को इन्क्यूबेशन पीरियड के नाम से जाना जाता है। 

हड्डी तोड़ बुखार या डेंगू फीवर की शुरुआत तेज़ बुखार से होती है और निम्नलिखित लक्षण मरीज में दिखाई देते हैं। ये लक्षण डेंगू बुखार के प्रकार के आधार पर कम या अधिक हो सकते हैं। 

  • तेज़ बुखार करीब 104 डिग्री फारेनहाइट तक high fever हड्डी तोड़ बुखार
  • सिर में तेज़ दर्द जिसे सिर फट रहा हो 
  • आँखों के पीछे या आंख के गोलों में दर्द होना 
  • मांस पेशियों में दर्द और तनाव 
  • हड्डियों और जोड़ों में बहुत तेज़ दर्द जैसे हड्डी टूट गयी हो 
  • जी मिचलाना और उल्टियों का आना 
  • कमज़ोरी और बेचैनी 
  • शरीर पर लाल चकत्ते आना 
  • दन्त, नाक या मॉल के साथ खून आना 

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डेंगू फीवर या हड्डी तोड़ बुखार के प्रकार 

हड्डी तोड़ बुखार या डेंगू फीवर के लक्षणों के आधार पर तीन प्रकार का होता है। डेंगू बुखार का नया स्ट्रेन है ज़्यादा ख़तरनाक क्योंकि D2 स्ट्रेन में रक्तस्रावी बुखार और डेंगू शॉक सिंड्रोम के मरीज अधिक पाए गए हैं। 

  • सामान्य डेंगू बुखार (Classical Dengue Fever)
  • रक्तस्रावी डेंगू बुखार (DHF – Dengue Hemorrhagic Fever)
  • डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS – Dengue Shock Syndrome)

क्लासिक डेंगू बुखार

हलके डेंगू बुखार के लक्षण मच्छर के काटने के एक हफ्ते के बाद देखने को मिलते हैं। इसमें तेज़ बुखार के साथ साथ दुसरे लक्षण जैसे सिर में दर्द, जी मिचलाना, उलटी आना और मांसपेशियों में दर्द होना शामिल हैं। ऐसे मरीज़ो के लक्षण कम घातक होते हैं। मरीज़ 5-7 दिनों के बाद ठीक महसूस करने लगता है और 2 हफ्ते के अंदर पूरी तरह ठीक हो जाता है।  

खून की जांच कराने पर प्लेटलेट्स की संख्या कम आती है। लेकिन मरीज को कोई भी रक्तस्राव यानि खून बहने या ब्लीडिंग के लक्षण नहीं आते हैं। मरीज सिर्फ बुखार की दवाई और हाइड्रेशन को मेन्टेन करने से ही ठीक हो जाता है। करीब 80% मरीजों को हलके लक्षण आते हैं और वो खुद से ठीक हो जाते हैं। 

रक्तस्रावी डेंगू बुखार

डेंगू हेमरेजिक फीवर में मरीज को लक्षण थोड़े से तीव्र होते हैं। तेज़ बुखार के साथ बहुत तेज़ सिर दर्द होता है, आँखों के पीछे दर्द के साथ उल्टियां आती हैं और मरीज को कमज़ोरी आने लगती है। ये सारे लक्षण 3-4 दिन तक हल्के और डेंगू क्लासिकल फीवर से मिलते जुलते होते हैं। इसे बाद चार से पांच दिन के बाद लक्षणों की तीव्रता बढ़ जाती है। लगभग 10-15% मरीजों में डेंगू हेमरेजिक फीवर के लक्षण आते हैं। अगर समय पर सही इलाज न किया जाये तो ये मौत का कारण भी बन सकते हैं । इस प्रकार के बुखार में प्लेटलेट और ब्लड चढाने की आवश्यकता पड़ती है और बहुत से मरीज ठीक हो जाते हैं। 

सिर दर्द, बुखार, उलटी के साथ मांसपेशियों में दर्द , हड्डी और जोड़ों का दर्द बढ़ने लगते हैं और मरीज के शरीर पर लाल रंग के चकत्ते दिखाई देने लगते हैं। लाल चकत्ते दिखने का मतलब होता है मरीज को अंदरूनी खून का स्राव भी हो सकता है। इसका कारण होता प्लैटलैट्स की मात्रा में बहुत अधिक कमी हो जाना। अक्सर जब मरीज का बुखार कम होने लगता है तब प्लेटलेट्स की संख्या में तेज़ी से गिरावट आती है और रक्तस्राव का खतरा अधिक हो जाता है। 

डेंगू शॉक सिंड्रोम

डेंगू बुखार या हड्डी तोड़ बुखार का यह प्रकार सबसे ज़्यादा घातक होता है। अक्सर मौतें डेंगू शॉक सिंड्रोम के कारण ही होती है। इस प्रकार के बुखार में सारे लक्षण बहुत तीव्र होते हैं और मरीज को तीसरे चौथे दिन ही रक्तस्राव जैसे लक्षण आने लगते हैं। मरीज को रक्तस्राव के साथ साथ ब्लड प्रेशर भी बहुत कम हो जाता है। ब्लड प्रेशर कम होने से मरीज शॉक की हालत में चला जाता है। ब्लड प्रेशर कम होने से मरीज को बेहोशी होने लगती है और इस हालत को शॉक सिंड्रोम कहते हैं।

मरीज के अंदरूनी भागों में खून बहने लगता है, किडनी और दुसरे ऑर्गन्स काम करना बंद कर देते हैं। इस हालत को मल्टीऑर्गन फेलियर कहते हैं, और मरीज की मौत हो जाती है। 

डेंगू बुखार में पलटलेट्स कम होने का क्या कारण है ?

हड्डी तोड़ बुखार या डेंगू बुखार के पहले 4-5 दिनों में तेज़ बुखार, सर दर्द, मांसपेशिओं का दर्द और उलटी होती हैं। पहले 4-5 दिनों में वायरस तेज़ी से शरीर के अंदर बढ़ते हैं और टॉक्सिन्स रिलीज़ करते हैं जिसके कारण ये सारे लक्षण आते हैं। लेकिन 4-5 दिन के बाद या जब बुखार कम होने लगता है तो प्लेटलेट्स गिरने लगती हैं। प्लैटलैट्स गिरने के साथ ही साथ रक्तस्राव का खतरा भी बढ़ जाता है। इसका कारण है हमारे शरीर में डेंगू बुखार से लड़ने के लिए बन चुके एंटीबाडीज होते हैं। 

मरीज के शरीर में बने एंटीबाडीज वायरस को मारना शुरू कर देते हैं। जिसके कारण बीमारी के बहरी लक्षण तो कम होने लगते हैं लेकिन प्लैटलैट्स कम होने से खतरा बढ़ जाता है। दरअसल डेंगू बुखार के वायरस के खिलाफ बने एंटीबाडीज प्लैटलैट्स को भी खाना शुरू कर देते हैं। इसिलए जब शरीर में एंटीबाडीज बनना शुरू होते हैं उसी समय प्लेटलेट की संख्या भी कम होना शुरू हो जाती है। 

जब वायरस शरीर से निकल जाता है तो ये एंटीबाडीज अपना हमला रोक देते हैं और प्लैटलैट्स फिर से वापस बढने लगती हैं। 

डेंगू वायरस कितने प्रकार का होता है 

डेंगू वायरस एक तरह का RNA वायरस है जो एडिस एजिप्टी मच्छर के काटने से मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है। डेंगू वायरस के मुख्यता चार प्रकार हैं जिनको डेंगू वायरस स्ट्रेन या वैरिएंट्स के नाम से जानते हैं। वायरस के Serotype के हिसाब से DENV-1, DENV-2, DENV-3, DENV-4 डेंगू वायरस के 4 स्ट्रेन हैं। 

चारों स्ट्रेन में DENV-2 सबसे अधिक घातक है। DENV-2 डेंगू हेमरेजिक फीवर का मुख्य कारण है और इसके कारण मौतें भी अधिक होती हैं। इस समय 2021 में जो उत्तरप्रदेश और दिल्ली में डेंगू बुखर के मरीज मिल रहे हैं उनमे DENV-2 Serotype पाया गया है जो चिंता का विषय है। 

क्या एक बार डेंगू होने के बाद फिर से डेंगू हो सकता है ?

मुख्यता एक बार में एक ही स्ट्रेन मरीजों में फैलता है और एक प्रकार के स्ट्रेन से मरीज को जीवन भर के लिए डेंगू वायरस से लड़ने की क्षमता मिल जाती है। लेकिन यह मरीज दुसरे टाइप के डेंगू स्ट्रेन से अपने आप को बचने में सक्षम नहीं होता है।

जब दूसरा नया स्ट्रेन आता है तो वह उन लोगों को भी चपेट में ले लेता है जिनको पहले किसी दुसरे स्ट्रेन से डेंगू हो चूका है। लेकिन अगर फिर से पहले वाला स्ट्रेन आता है तो वो मरीज सुरक्षित रहते हैं जिनको इस स्ट्रेन से पहले डेंगू हो चूका था।

उदाहरण के तौर पर अगर किसी मरीज को पहले DENV-1 डेंगू हुआ था और अगले साल फिर से DENV-1 स्ट्रेन फैलता है तो यह मरीज सुरक्षित है। लेकिन अगर दूसरी बार DENV-2, या DENV-3 या DENV-4 स्ट्रेन आता है तो उस मरीज को भी डेंगू हो सकता है जो DENV-1 से ठीक हो चूका था। क्योंकि इस मरीज के अंदर DENV-1 स्ट्रेन के खिलाफ लड़ने के लिए तो रोगप्रतिरोधक क्षमता पैदा हो चुकी है लेकिन दुसरे स्ट्रेन अभी भी उस मरीज को नुक्सान पहुंचा सकते हैं। 

डेंगू बुखार या हड्डी तोड़ बुखार कैसे फैलता है ? 

डेंगू फीवर मादा एडीज एजिप्टी (Aedes Aegypti) मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर मुख्यता दिन के समय काटता है। डेंगू बुखार के मच्छर साफ़ और ठहरे हुए पानी पर अंडे देते हैं। अगर ये पानी काफी दिनों तक जमा रहता है तो डेंगू के मच्छर पैदा हो जाते हैं। 

दरअसल मनुष्य डेंगू वायरस के लिए होस्ट के तौर पर काम करता है। जब कोई मादा एडीज मच्छर किसी डेंगू फीवर के मरीज को काटता है तो वायरस मछर के अंदर चला जाता है।  वायरस मच्छर के अंदर पूरे जीवन काल तक रह सकता है। इससे मच्छर को तो कोई नुक्सान नहीं पहुँचता लेकिन जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो यह डेंगू बुखार का कारण बनता है। 

ऐसा नहीं है की मच्छर वायरस को इसीलिए शरीर में छोड़ता है की उसको इससे कोई फायदा है या वह जानबूझ कर वायरस छोड़ता है। बल्कि मच्छर भोजन के तौर पर जब मनुष्य के शरीर से खून चूसता है तो अनजाने में वायरस को मनुष्य के शरीर में छोड़ देता है। जिसके कारण स्वास्थ्य इंसान डेंगू का शिकार हो जाता है। 

यह वीडियो देखें – डेंगू बुखार | Dengue Fever Symptoms | Dengue Ke Lakshan | Haddi Tod Bukhar

डेंगू की जाँच के प्रकार 

डेंगू बुखार की जाँच के लिए अलग अलग तरह के टेस्ट उपलब्ध हैं। जिनको डेंगू बुखार को पता लगने के लिए अलग अलग समय पर आवश्यकतानुसार किया जाता है। 

blood test for dengue

NAAT  – (Nuclear acid  amplification  test)

लक्षण आने के बाद एक से सात दिन तक इस टेस्ट को किया जा सकता है। इसको खून के प्लाज्मा, सीरम से या रीढ़ की हड्डी के पानी (CSF) से किय अजा सकता है। पहले 7 दिनों में ये डेंगू बुखार के इन्फेक्शन को बताने में सहायक है लेकिन सात दिनों के बाद IgM एंटीबाडी टेस्ट करना चाहिए। 

Dengue Virus Antigen Detection or Dengue NS1 Detection Test 

NS1 एंटीजन टेस्ट को 0-7 दिनों में करना उपयोगी माना जाता है क्योंकि वायरस का एंटीजन पहले 7 सात दिनों में ही शरीर के अंदर अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह बीमारी की एक्यूट फेज में ही उपयोगी है इसलिए लक्षण आने के फौरन बाद ये जाँच करना अच्छा माना जाता है। यह जाँच खून के सैंपल से की जाती है और खून में वायरस के इन्फेक्शन को बताती है।

डेंगू NS1 टेस्ट के साथ डेंगू सीरोलॉजी टेस्ट बीमारी को जांचने में मदद करता है। NS1 पॉजिटिव रिजल्ट ये बताता है की मरीज को खून में डेंगू बुखार का वायरस है। लेकिन अगर NS1 जाँच नेगेटिव आती है तो इसका मतलब ये नहीं की मरीज को डेंगू नहीं था। यह जांचने के लिए IgM टेस्ट करके देखना होता है। अगरIgM जाँच पॉजिटिव आती है तो इसका मतलब होता है कि मरीज को डेंगू था जो अब ठीक हो गया है। 

Dengue Serology Test (IgG and IgM Antibodies Test)

डेंगू सीरोलॉजी टेस्ट में IgG एवं IgM टेस्ट आते हैं। दोनों ही टेस्ट की अपनी अहमियत है। IgM एंटीबाडीज बीमारी के शुरूआती दिनों में बनना शुरू हो जाते हैं। IgM एंटीबाडीज सातवें दिन से टेस्ट रिजल्ट में आने लगते हैं और करीब एक से दो हफ्ते तक रहते है और कुछ मामलों में कई हफ्ते तक भी रह सकते हैं। जब बीमारी ठीक होने लगती है तो  IgG एंटीबाडीज बनना शुरू होते हैं जो इस बात को बताते हैं की बीमारी ठीक हो गयी है। IgG एंटीबाडीज एक ही प्रकार के स्ट्रेन से लड़ने के लिए मरीज को रोगप्रतिरोधक क्षमता देते हैं जो जीवन भर शरीर में पाए जा सकते हैं। 

डेंगू बुखार का उपचार

हड्डी तोड़ बुखार या डेंगू बुखार का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है। इसका इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है। डेंगू बुखार का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि बिमारी किती गंभीर है। डेंगू बुखार के लक्ष्णों के आधार पर कुछ बुनयादी इलाज निम्नलिखित हैं। 

औषधि एवं घरेलु उपचार 

  • बुखार और सिर दर्द को ठीक करने के लिए पेरासिटामोल दवाई दी जाती है। पेरासिटामोल दवाई भी डॉक्टर की सलाह पर लेनी चाहिए। ठंडी पानी की पट्टियां भी बुखार को कम करने में मदद करती है। 
  • अगर बुखार बहुत तेज़ हो तो आई वी ड्रिप के द्वारा भी बुखार को कम करने वाली दवाइयां दी जाती है और साथ ही पानी की कमी को पूरा करने के लिए फ्लूइड थेरेपी दी जाती है।
  • उल्टियां रोकने के लिए उलटी की दवाई दे जाती है।
  • हाइड्रेटेड रहें, शरीर में पानी की कमी न होने दें। तरल पदार्थों का अधिक सेवन करें जैसे जूस, पानी, ओरल रिड्रेशन सोलुशन, नारियल पानी इत्यादि का इस्तेमाल करें। 
  • रसीले फलों का इस्तेमाल अधिक मात्रा में करें। 
  • गलोय औषधि के प्रयोग से रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और यह एंटीवायरल औषधि के तौर पर भी काम करता है 
  • पपीता के पत्ते का जूस और पपीता का फल भी डेंगू फीवर के इलाज में मदगार साबित हुआ है जो प्लैटलैट्स को बढ़ने में मदद करता है 

Vegetable Juice

Papita

हड्डी तोड़ बुखार या डेंगू बुखार से बचाव 

डेंगू बुखार के खिलाफ अभी तक कोई कारगर वैक्सीन सामने नहीं आई है।  कुछ देशों ने डेंगू वायरस का वैक्सीन बनाया जरूर है लेकिन अभी तक इसका प्रयोग सभी देशों में नहीं हो पाया है क्योंकि एक तरह की वैक्सीन सभी स्ट्रेन के खलाफ काम नहीं कर पाती है। इसलिए कुछ उपाय ही डेंगू बुखार से बचाव में सहायक हैं। 

  • पूरी आस्तीन के कपडे पहने, त्वचा को खुला न रखें 
  • मच्छर रोधी क्रीम का इस्तेमाल करें 
  • पानी को इकठ्ठा न होने दें, छत पर रखे बर्तनो का पानी उड़ेल दें या हफ्ते में एक बार काम से काम पानी बदलें
  • कूलर, गमले इत्यादि को हफ्ते में एक बार अवश्य साफ़ करें 
  • जहाँ पानी इकठ्ठा हो उस पर मिटटी का तेल दाल दें 
  • साफ़ सफाई का ध्यान रखें 
  • सोते समय मच्छर दानी का इस्तेमाल करें 

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