कोरोना वैक्सीन का गर्भवती महिलाओं और भ्रूण पर क्या असर होता है The effect of Covid vaccine on Pregnancy and Fetus
अमेरिकन जर्नल ऑब्स्ट्रेटिक्स एंड गायनोकॉलोजी मैटरनल फीटल मेडिसिन में एक रिपोर्ट छपी है। वैज्ञानिको ने इस स्टडी कि द्वारा ये जानने कि लिए शोध कार्य किया कि गर्भ में पल रहे भ्रूण पर कोविड वैक्सीन का क्या असर होता है (Covid Vaccine effect on pregnancy)। इस रिपोर्ट के अनुसार उन गर्भवती महिलाओं पर अध्यन किया गया जिन्होंने mRNA युक्त कोविड वैक्सीन की दोनों खुराक ले रखी थी।
इन गर्भवती महिलाओं और भ्रूण पर होने वाले प्रभावों को काफी समय तक जांचा और परखा गया। और शोध कार्य के परिणामों कि आधार पर अमेरिकन जर्नल ऑब्स्ट्रेटिक्स एंड गायनोकॉलोजी मैटरनल फीटल मेडिसिन (American Journal Obstetrics & Gynecology Maternal fetal Medicine) एक रिपोर्ट छपी, जिसमे यह बताया गया कि गर्भ में पल रहे भ्रूण पर कोविड वैक्सीन का क्या असर होता है।
ये वीडियो ज़रूर देखे – कौन सी वैक्सीन ज़्यादा बेहतर है ?
प्रेगनेंसी के दौरान कोरोना वैक्सीन लगाने का नतीजा ?
प्रेगनेंसी के दौरान कोरोना वैक्सीन लगाने को लेकर एक दर और भ्र्म की स्तिथि बानी हुई थी। जिसके कारण बहुत सी गर्भवती महिलाओं ने कोविद वैक्सीन लेने से इंकार कर दिया था। उसके बावजूद बहुत सी गर्भवती महिलाओं ने हिम्मत करके कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाया। ये स्तिथि हिन्दुस्तान कि ही नहीं बल्कि दुसरे देशों में भी यही स्तिथि थी।
अमेरिकन जर्नल ऑब्स्ट्रेटिक्स एंड गायनोकॉलोजी मैटरनल फीटल मेडिसिन (American Journal Obstetrics & Gynecology Maternal fetal Medicine) में छपी रेपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों और डाक्टरों कि एक टीम ने ये जानने का फैसला किया कि प्रेगनेंसी के दौरान कोरोना वैक्सीन लगाने का नतीजा क्या हुआ। कोरोना वैक्सीन का गर्भवती महिला और गर्भ में पल रहे भ्रूण पर कोविड वैक्सीन का क्या असर होता है।
जिन महिलाओं ने कोरोना वैक्सीन कि दोनों खुराक ले रखी थी उनके खून में कोरोना बीमारी से लड़ने कि लिए एंटीबॉडीज की काफी अच्छी मात्रा पाई गई। और जब इन महिलाओं की पेट में पल रहे भ्रूण की खून कि जांच कि गयी तो भ्रूण की रक्त में भी एंटीबॉडीज की काफी अच्छी मात्रा पाई गई। वैज्ञानिक ये देखकर हैरान थे क्योंकि उनको इस बात कि बहुत ही काम उम्मीद थी।
भ्रूण की अंदर एंटीबाडीज कैसे पैदा हुए ?
गर्भवती महिला के कोविद वैक्सीन की खुराक लेने की बाद गभ्वती महिला की प्रतिरोधक तंत्र (Immune System) एक्टिव हो गया, उसके बाद गर्भवती महिला के खून में एंटीबॉडीज पैदा होने लगे। धीरे धीरे एंटीबॉडीज कि मात्रा गर्भवती महिला के खून में बढ़ती गयी जिसे कारण गर्भवती महिला कोरोना वायरस से लड़ने में सक्षम हो गयी। गर्भवती महिला की खून में बने एंटीबॉडीज बच्चे कि नाभि (Umbilical Cord) की रस्ते भ्रूण की शरीर में प्रवेश कर गए। और उसके बाद भ्रूण की खून में भी इन एंटीबॉडीज कि मात्रा अच्छी मात्रा में पहुँच गयी। ये एंटीबॉडीज भ्रूण की खून में काफी अधिक मात्रा में पाए गए और ये पाया गया कि ये पेट में पल रहा भ्रूण कोरोना वायरस से लड़ने की लिए रोग प्रितिरोधक क्षमता लेकर पैदा होगा।
भ्रूण पर कोविड वैक्सीन का असर
गर्भवती महिला से भ्रूण के खून में में प्रवेश करने वाले एंटीबॉडीज उसी प्रकार से काम कर रहे थे जैसे गर्भवती महिलाओं को बीमारी से बचने का काम क्र रहे थे। शोध में ये पाया गया कि गर्भ में पलने वाला बच्चा करों वायरस से लड़ने के लिए पूरी तरह सक्षम है। और भ्रूण में इतनी मात्रा में एंटीबॉडीज बन चुके थे कि बच्चे के जन्म लेने के बाद वो करों वायरस से लड़ने में पूरी तरह सक्षम हैं। और इन एंटीबॉडीज का कोई भी नुकसानदेह प्रभाव बच्चे यानि भ्रूण में नहीं देखा गया।
ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि जिन माताओं ने प्रिग्नेंसी के समय वैक्सीन लिया उन्होंने अपने आप को तो बचाया ही साथ ही उन्होंने आने वाले बच्चे को भी सुरक्षा कवच दे दिया है। अब ये बच्चे कोरोना वायरस के खिलाफ जन्मजात रोगप्रतिरोधक क्षमता लेकर पैदा होंगे। ये सारे बच्चे अपनी माँ का वरदान ले कर पैदा होने वाले हैं और कोरोना वायरस को रोकने में मददगार साबित होंगे।
भविष्य में एंटीबॉडीज का असर कब तक रहेगा ?
वैज्ञानिको का कहना है कि अब वो खुल कर कह सकते हैं कि गर्भवती महिलाओं के लिए कोरोना कि वैक्सीन बिलकुल सुरक्षित है। न सिर्फ गर्भवती महिला के लिए बल्कि उसके आने वाले बच्चे के लिए भी सुरक्ष कवच है। लेकिन देखना ये होगा कि भ्रूण में माता से आने वाले एंटीबॉडीज कितने दिनों तक बच्चे के शरीर में बने रह सकते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि भ्रूण में माता से पहुंचे एंटीबॉडीज का बच्चे के शरीर में काफी लम्बे समय तक रहने कि उम्मीद है। हालाँकि अभी जिन लोगन ने वैक्सीन लिया है नहीं पता कि उनके अंदर वैक्सीन से बने एंटीबॉडीज कितने समय तक बने रहेंगे। लेकिन ऐसी सम्भवना जताई जा रही है कि भ्रूण में बने एंटीबॉडीज वैक्सीन से बने एंटीबॉडीज के मुकाबले लम्बे समय तक शरीर में बने रहेंगे। इस पर भी वैज्ञानिक शोध कार्य में लगे हए हैं।
क्या इन बच्चों को फिर से वैक्सीन लेना होगा ?
वास्तव में जिन बच्चों में माँ से जन्मजात प्रतिरोधक क्षमता पैदा हुई है उनमे ये उम्मीद जताई जा रही है कि शायद उनको जल्दी ही कोई वैक्सीन कि जरुरत न पड़े। हालाँकि इस बात कि पुष्टि वैज्ञानिको कि और रिसर्च और शोध कार्य के बाद ही मिल पायेगा।
लेकिन Pfizer – BioNTech कम्पनी छोटे बच्चों में वैक्सीन लगाने कि समभावनाओं और होने वाले प्रभावों पर रिसर्च कर रही है। उन्होंने 5 से 11 साल के बच्चों पर रिसर्च के बाद ये दावा किया है कि 5 से 11 साल तक कि उम्र के बच्चों में कोरोना वैक्सीन लगाना सुरक्षित है। और उन्होंने इसके प्रयोग के लिए सम्बंधित विभागों को अनुमोदन प्रार्थना भेजी है।
Pfizer – BioNTech कम्पनी 5 साल से कम उम्र के बच्चों और ऐसे बच्चों पर भी शोध करने का उद्देश्य है जिनको अपनी माता से जन्मजात रोगप्रतिरोधक क्षमता आयी है। वह ये जानने कि कोशिश करेंगे कि छोटे बच्चों में कोरोना वैक्सीन के क्या प्रभाव होंगे या कोई दुष्प्रभाव तो नहीं होने वाले। लेकिन जिस तरह 5 से 11 साल कि उम्र के बच्चों में कोविद वैक्सीन सेफ बताई गयी है उसी प्रकार ये उम्मीद जताई जा रही है कि हम अच्छे और कामयाब परिणाम आने कि कमना करते हैं।
डॉ मुशर्रफ हुसैन
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