एलर्जिक रायनाइटिस, सर्दी जुकाम से अलग क्यों है? कारण बचाव और इलाज
ये कहना बिलकुल गलत नहीं होगा की एलर्जिक रायनाइटिस ( Allergic Rhinitis ) जुकाम से बिलकुल अलग है। दोनों ही बीमारयों के लक्षण एक दुसरे से मिलते जुलते हैं फिर भी ये अलग हैं। बहुत सारे ऐसे मरीज हैं जिनको मौसम बदलने के साथ ही लगातार नाक से पानी और छींकें आने की शिकायत रहती हैं। सवाल ये उठता है कि मौसम बदलने के कारण ऐसा क्यों होता है?
दरअसल जब मौसम बदलता है तो वायरस को नाक और गले में पनपने का मौका मिल जाता है। जिसके कारण सर्दी और जुकाम ( Allergic Rhinitis ) हो जाता है। और मरीज को नाक से पानी, छींकें, खांसी और बुखार जैसे लक्षण आने लगते हैं।
लेकिन एलर्जिक रायनाइटिस ( Allergic Rhinitis ) में नाक से पानी और छीकें किसी एलर्जी के कारण आती हैं। जब भी कोई व्यक्ति किसी एलर्जिक एजेंट के कांटेक्ट में आता है, तो उसको एलर्जी के कारण लगातार छींकें और नाक से पानी आने लगता है।
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सर्दी जुकाम (Common Cold)
कॉमन फ्लू या सर्दी जुकाम (Common Cold) एक प्रकार के वायरस से फैलने वाली बीमारी है। इस वायरस को फ्लू वायरस या रहिनोवायरस के नाम से जाना जाता है। जुकाम के मरीज को नाक बहने और छींकों के साथ साथ, खांसी, बुखार और सर दर्द जैसे लक्षण भी आते है। यह बीमारी 5-7 दिन में अपने आप से ठीक हो जाती है।
अगर वायरस के साथ में बैक्टीरिया का इन्फेक्शन भी लग जाये तो ये भयानक रूप ले सकती है। जिसके कारण साइनोसाइटिस, टॉंसिलिटिस, कान का इन्फेक्शन और निमोनिया जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
एलर्जिक रायनाइटिस ( Allergic Rhinitis )
एलर्जिक रायनाइटिस को हे फीवर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक एलर्जिक प्रतिक्रिया है जो किसी एलर्जी के कारण उत्पन्न होती है। जिसके कारण नाक में खुजली और गले में खराश होने लगती है। उसके बाद नाक में कंजेशन के बाद नाक से पानी और छींके आना शुरू हो जाती हैं।
हे फीवर या एलर्जिक रायनाइटिस बहुत खतरनाक भी हो सकता है। लेकिन जीवन शैली और खान पान में बदलाव और कुछ उपायों के साथ आप इससे छुटकारा पा सकते हैं।
वायरस से होने वाला सर्दी जुकाम एक मरीज से दुसरे को लग सकता है। लेकिन हे फीवर या एलर्जिक रायनाइटिस एक से दुसरे व्यक्ति को नहीं फैलता है।
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हे फीवर या एलर्जिक रायनाइटिस के कारण
हम जब किसी एलर्जी वाली चीज के सम्पर्क में आते हैं तो यह हमारे नाक या मुंह से हमारे शरीर में चला जाता है। यह एलर्जिक चीजें धूल-मिटटी, परागकण, पालतू जानवरों की रूसी व् बाल, फफूंदी और कोई रसायन भी हो सकते हैं।
किसी एलर्जिक कारक के कारण हमारे शरीर की कोशिकाओं से हिस्टामिन्स नामक रसायन निकलते हैं। यह हिस्टामिन्स नाक और गले के अंदर सूजन पैदा कर देते हैं। जिसके कारण एलर्जिक रायनाइटिस ( Allergic Rhinitis ) या हे फीवर के लक्षणों आने लगते हैं।
इस बीमारी का मुख्य कारण आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और एलर्जिक एजेंट के बीच होने वाली प्रतिक्रिया है। जब एलर्जिक एजेंट आपकी नाक और मुंह में चले जाते हैं तब हमारे शरीर कि रोगप्रतिरोधक क्षमता सक्रिय हो जाती है। क्योंकि हमारे शरीर कि रोगप्रतिरोधक प्रणाली को लगता है बहार से हमला हुआ और उसको रोकना चाहिए।
इस हमले को रोकने के लिए रोगप्रतिरोधक प्रणाली, कुछ प्राकृतिक रसायनों को खून के अंदर रिलीज़ कर देती है। जिनको हिस्टमिन्स कहते हैं। यह रसायन या हिस्टामिन नाक, आँख, और गले कि म्यूकस मेम्ब्रेन में सूजन और खुजली का कारण बनता है। और एलर्जी को शरीर से बहार निकालने का प्रयास करती है।
एलर्जिक रायनाइटिस ( Allergic Rhinitis ) के मुख्या कारण ये हैं
- पर्दों, गद्दों, बिस्तर, कालीन और रखे हुए कपड़ों के धूल कण
- पौधों, घास और फूलों के परागकण
- पालतू जानवरों के बाल, रूसी और उनके परजीवी
- कॉकरोच कि लार और मल
- मोल्ड्स और फफूंदी
- खाने पीने से होने वाली एलर्जी
- मौसम के बदलाव
- कुछ रसायन
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कब और किस समय एलर्जिक रायनाइटिस अधिक होता है ?
एलर्जी होने का कोई समय निर्धारित नहीं है। आपको साल में कभी भी और किसी भी समय एलर्जिक रायनाइटिस हो सकता है। मौसम का बदलाव, सर्दी गरमी, बसंत ऋतू, जब फूल अधिक खिलते हैं। परागकणों की अधिकता, पालतू जानवर कभी भी एलर्जी का कारण बन सकते हैं। यह बीमारी बहुत ही आम है। काफी बड़ी आबादी एलर्जिक रायनाइटिस का शिकार बनती हैं। हर साल लाखों बच्चों और वयस्कों को हे फीवर अपना शिकार बनता है।
एलर्जिक रायनाइटिस आपको विरासत में भी मिल सकती है। यह बीमारी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ट्रांसफर हो सकती है। यदि आपके माता पिता में से किसी एक को एलर्जिक रायनाइटिस है तो इस बात की सम्भावना काफी अधिक है कि आपको भी जीवन के किसी पड़ाव पर एलर्जिक रायनाइटिस हो जाये।
एलर्जी अधिकतर लोगों में कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है लेकिन अगर ध्यान न दिया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकती है।
Hay Fever या एलर्जिक रायनाइटिस ( Allergic Rhinitis ) के लक्षण
- नाक में कंजेशन होना, नाक का बंद होना
- नाक से पानी का आना
- लगातार छींकें आना
- नाक, कान, आँख और गले में खुजली
- खांसी, सर दर्द और साइनस का दर्द
- थकान और कमजोरी का होना
- गले के पीछे नाक का पानी गिरना (पोस्ट नेसल ड्रिप)
- सांस लेने में परेशानी
निदान और Diagnosis of Allergic Rhinitis
हे फीवर या एलर्जिक रायनाइटिस को कैसे जांचें? इसके लिए मरीज के खून का सैंपल लिया जाता है। और Immunoglobulin E (IgE) नामक टेस्ट किया जाता है। इससे लगभग सभी प्रकार की एलर्जीज़ का पता चल जाता है। आपको आपका डॉक्टर स्किन प्रिक टेस्ट (Skin Prick Test) जिसमे आपकी त्वचा पर कुछ एल्लेर्जेंट्स को प्रयोग करते हैं। और देखते हैं कि १५ से ३० मिनट्स के बीच कोई एलर्जिक रिएक्शन, सूजन तो नहीं आती या चमड़ी पर लाली तो नहीं आती है.
एलर्जिक रायनाइटिस का बचाव व इलाज
Allergic Rhinitis या हे फीवर से बचाव कैसे करें ?
- अपने चेहरे नाक को बार छूने से बचें
- बसंत के मौसम में घर कि खिड़कियों को बंद रखें
- कपड़ों, तकिये और कालीन को साफ़ रखें और धुल के कणो को जमने से रोकें
- पालतू जानवरों को सोफे और बिस्तर से दूर रखें
- घर में सफाई के लिए वैक्यूम क्लीनर का इस्तेमाल करें
- रूम एयर कंडिटोनेर का प्रयोग करें और फ़िल्टर को साफ़ रखें
- हाथ बार बार धोएं
- जानवरों के साथ खेलने के बाद या पौधों के नजदीक जाने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं
- मौसम बदलने के समय उचित कपड़ों का इस्तेमाल करें
एलर्जिक रायनाइटिस ( Allergic Rhinitis ) का इलाज
किसी भी दवाई को प्रयोग करने से पहले अपने डॉक्टर कि सलाह अवश्य लें। ये दवाइयां बिना डॉक्टर के परामर्श के लेना घातक भी हो सकती हैं।
- एंटी-हिस्टामिन्स (Anti-histamines) या एंटी-एलर्जिक दवाइयों का इस्तेमाल
- Decongestant दवाइयों का प्रयोग स्प्रे के तौर पर
- कॉर्टिकॉस्टेरॉइड्स दवाइयों के स्प्रे
- आयुर्वेदिक दवाइयों का इस्तेमाल
आयुर्वेदिक दवाइयों और घरेलु तरीके से एलर्जिक रायनाइटिस का इलाज
अपने भोजन और रोजाना प्रयोग कि जाने वाली चीज़ों का ठीक से चुनाव करें। ऐसे भोजन और इस्तेमाल कि जाने वाली चीज़ें जिन में रसायनो कि मात्रा अधिक है एलर्जी का कारण बन सकते हैं।
आयर्वेदा और यूनानी चिकित्सा के अनुसार रक्त के अंदर असंतुलन और बहरी तत्वों के बढ़ जाने से इस तरह कि एलर्जी होती है। यदि रक्त यानि खून के अंदर संतुलन को बना कर रखा जाये तो एलर्जी और एलर्जिक रायनाइटिस को आसानी से ठीक किया जा सकता है। इसके लिए आपको कुछ नियमो का पालन करना आवश्यक है।
घरेलु नुस्खे जुकाम और एलर्जिक रायनाइटिस के लिए
- अपने टेमरामेन्ट यानि मिजाज़ को समझें और उसी के अनुसार चीज़ों का इस्तेमाल करें
- जिन चीज़ों से एलर्जी होती है उनसे दूरी बनाकर रखें
- भोजन में प्याज और अदरक का इस्तेमाल बढ़ा दें
- प्याज को सलाद में खाना भी काफी उपयोगी है
- तुलसी के पत्तों के साथ ग्रीन चाय का इस्तेमाल करें
- शहद के साथ काली मिर्च और अदरक के जूस को मिलकर रोजाना प्रयोग करें (शुगर के मरीज के लिए शहद का प्रयोग वर्जित है)
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एलर्जिक रायनाइटिस का आयुर्वेदिक और यूनानी इलाज
- नीम के पत्तों को गरम पानी में उबाल दें और इस पानी से सुबह शाम नाक को साफ़ करें।
- नीम के फूल को रात को पानी में भिगो कर रख दें, सुबह को इस पानी को छान ले। छाने हुए पानी रोजाना सुबह खली पेट ४० दिन तक इस्तेमाल करें।
- अमला फल का जूस और ऐसे फलों का इस्तेमाल करें जिन में विटामिन सी कि मात्रा अधिक हो जैसे संतरा नीम्बू इत्यादि
- अगर एलर्जिक रायनाइटिस के साथ खांसी भी है तो मुलेठी का छिलका उतार कर इसको सुबह शाम चबाएं।
- बिसोटा (Adhatoda vasica) के पत्तों और मुलेठी को को पानी में उबाल लें और इसको दिन में तीन बार इस्तेमाल करें।
आजमाया हुआ नुस्खा
इत्रिफल शाहीतरा ७ ग्राम सुबह शाम गुनगुने पानी के साथ
अर्क चरैयता २० मिली लीटर सुबह शाम
अर्क मुंडी २० मिली लीटर सुबह शाम
इत्रिफल उस्तोखुद्दूस ७ ग्राम शाम को गुनगुने पानी के साथ
इस देसी नुस्खे को ४० दिन तक लगातार इस्तेमाल करें। और ऊपर बताये हुए उपायों को नियमानुसार करते रहने से आप एलर्जिक रायनाइटिस जैसी बीमारी को जड़ से खत्म कर सकते हैं।
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