कम उम्र में हो रही हैं दिल का दौरा पड़ने से युवाओं की मौत? जाने कौन से आदते और कारण हैं ज़िम्मेदार?
कन्नड़ सुपरस्टार एक्टर पुनीत राजकुमार और हिंदी टेलीविजन के जाने माने एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला की अचानक मौत एक बड़े ही दुःख का कारण है।
सवाल ये है कि क्यों हो रहे हैं हार्ट अटैक पुनीत राजकुमार और सिद्धार्थ शुक्ला जैसे युवाओं को? ये बहुत ही हैरान और परेशान करने वाली बात है। दोनों ही एक्टर अभी अपनी युवा उम्र में थे फिर अचानक ऐसे स्वास्थ्य शरीर वाले और अपनी सेहत का ध्यान रखने वाले अभिनेताओं कि अचानक मौत कैसे हो सकती है?
सिद्धार्थ शुक्ला ने अभी अपने जीवन के सिर्फ 40 साल पूरे किये थे। वहीँ सुपरस्टार पुनीत राजकुमार कि उम्र भी अभी केवल 46 साल ही थी।
युवाओं कि यही कोशिश रहती है कि अपने आदर्श अभिनेताओं कि तरह जवान दिखें। और उन्हीं कि तरह अपनी बॉडी और शरीर को चुस्त रखें। इसके लिए हमेशा ये कहा जाता है कि कि लगतार व्यायाम करने और स्वस्थ्य भोजन के प्रयोग से हम भी अपने आपको चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं।
लेकिन इन दो युवा अभिनेताओं की मौत के बाद इस थ्योरी पर भी सवालिया निशान लगने लगे हैं? और अब ये बात कही जाने लगी है कि क्या गलत खान पान की आदतें ही इसके लिए ज़िम्मेमदार हैं या जिम और अधिक व्यायाम भी तो इसका कारण नहीं?
क्या पुनीत राजकुमार और सिद्धार्थ शुक्ला को हार्ट अटैक उनकी आदतों के कारण हुआ या उसके कुछ और भी कारण रहे होंगे?
यह वीडियो देखें — क्यों हो रहे हैं हार्ट अटैक कम उम्र के युवाओं में
मन को कचोटते कुछ सवाल
पुनीत राजकुमार और सिद्धार्थ शुक्ला जैसे युवाओं के साथ और भी बहुत से सितारे हैं जो हमें समय से पहले छोड़ कर चले गए जिनकी मौत कम उम्र में हार्ट अटैक के कारण हुए है।
अक्टूबर 2021 – पुनीत राजकुमार ( एक्टर) उम्र 46 साल – हार्ट अटैक के बाद मौत
सितम्बर 2021 – सिद्धार्थ शुक्ला ( एक्टर) उम्र 40 साल – हार्ट अटैक के बाद मौत
फरवरी 2021 – राजीव कपूर (ऋषि कपूर के छोटे भाई) उम्र 58 साल – हार्ट अटैक के बाद मौत
जनवरी 2021 – सौरभ गांगुली (क्रिकेटर) उम्र 46 साल – हार्ट अटैक के बाद समय रहते उपचार के बाद जान बची
फरवरी 2018 – श्रीदेवी (एक्ट्रेस) उम्र 54 साल – हार्ट अटैक के बाद मौत
जुलाई 2017 – इन्दर कुमार ( एक्टर, फिल्म वांटेड में ससलमान के साथ काम किया) उम्र 43 साल – हार्ट अटैक के बाद मौत
- हम क्या ऐसी अनहोनियाँ को असमय आने से पहले रोक सकते हैं?
- हमारे हाथ में कुछ ऐसा है क्या जो इन अनहोनी घटनाओ को रोकने में सहायक हो?
- क्या हमने अपने शरीर पर उतना अधिक जोर डाल दिया है कि वो समय से पहले ही हमारा साथ छोड़ देने लगा है?
- और क्या हमने प्रकृति को उस हद तक छेड़ दिया है कि उसका उल्टा असर हमारे स्वास्थ्य और जीवन पर दिखने लगा है ?
इससे पहले कि हम इन पहलुओं और विचारों पर बात करें और ये जाने कि इन मौतों का मुख्य कारण क्या है पहले हम इन दोनों महान अभिनेताओं के जीवन के बारे में कुछ जान लेते हैं। शायद उनके जीवन यापन और कार्य शैली के बारे में जानना भी हमारे लिए उनकी मौत के कारणों को समझने के लिए बहुत जरुरी हो?
कन्नड़ एक्टर एवं सुपरस्टार पुनीत कुमार की दिल का दौरा पड़ने से मौत
पुनीत कुमार कन्नड़ फिल्मों के सुपरस्टार जाने जाते रहे हैं। पुनीत कुमार अपने समय के महायनायक राजकुमार जी के बेटे हैं। घर परिवार में फ़िल्मी माहौल होने के कारन उन्होंने बचपन से ही फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने अपनी पहली फिल्म बेटाडू हूवी 1985 में बाल कलाकार के रूप में की और अपने फ़िल्मी कैरियर की शुरुआत की। जिसके लिए उनको बेस्ट चाइल्ड आर्टिस्ट की श्रेणी में नेशनल फिल्म अवार्ड भी मिला।
एक हीरो के रूप में फिल्म अप्पू से डेब्यू किया। और इसी फिल्म के नाम पर लोग उन्हें अप्पू के नाम से भी पुकारते थे। अप्पू फिल्म उन्होंने सं 2002 में लीड एक्टर तौर पर की जो एक कामयाब फिल्म रही। उनकी कुछ कामयाब फिल्मों में अभी, वीरा कन्नडिगा,अरासु, राम, हुदगारु, और अंजनी पुत्र शामिल हैं। उनकी आखरी फिल्म युवराथना थी जो इस साल के शुरू में रिलीज हुई और सुपर हिट हुई।
दिल को हिला देनी वाली बात ये है की जिम वर्कआउट करने के बाद, 29 अक्टूबर 2021 को केवल 46 साल की उम्र में पुनीत राजकुमार की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी। यह एक ऐसी खबर है जिसका किसी को यकीन ही नहीं हो रहा है। ऐसा कैसे हो सकता है की एक जवान फिट इंसान को दिल का द्वारा पड़ने से मौत हो जाती है? ऐसा क्या कारण है कि मात्र 46 साल की कम उम्र में भी अब दिल का द्वारा पड़ने से मौत हो जा रही है।
टेलीविजन के जाने माने एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला की दिल का दौरा पड़ने से अचानक मौत
सिद्धार्थ शुक्ला का जन्म 12 दिसंबर 1980 को मुंबई में एक संपन्न हिन्दू परिवार में हुआ था। उनके पिता जी अशोक शुक्ला जी रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया में एक इंजीनियर के पद पर कार्यरत रहे। सिद्धार्थ शुक्ला की माता जी श्रीमती रीता शुक्ला एक ग्रहणी हैं। उनके पिता जी की मृत्यु उनके मॉडलिंग कैरियर के शुरूआती दिनों में हो गयी थी।
एक वो अच्छे खिलाडी भी रहें है और वो हमेशा अपने आप को एक एथलेटिक की केटेगरी में रखते रहे हैं। उन्होंने अपने स्कूल को टेनिस और फुटबॉल के खले में रेप्रेसन्ट भी किया है। वह इतालियन फुटबॉल क्लब के सामने Under-19 टीम में खेले भी। सिद्धार्थ शुक्ला ने इंटीरियर डिज़ाइन में डिग्री कोर्स किया था। कुछ दिनों तक उन्होंने एक इंटीरियर डिज़ाइन फर्म के साथ काम भी किया।
उन्होंने 2005 में मॉडलिंग की दुनिया में कदम रखा। उसके बाद 2008 सोनी टीवी पर “बाबुल का आंगन छूटे न” सीरियल से उन्होंने टेलीविजन की दुनिया में कदम रखा। उसके बाद उन्होंने बहुत से टेलीविजन सीरियल में दमदार रोले किये जिनमे “बालिका वधु”, “खतरों के खिलाडी” और “बिग बॉस” ख़ास हैं। और 2020 में उन्होंने “बिग बॉस” के विजेता का ख़िताब भी जीता। उन्होंने और भी बहुत सरे टेलीविजन सीरियल और बहुत सी फिल्मों में भी काम किया।
एक दुखद खबर 02 सितम्बर 2021 को मिली की सिद्धार्थ शुक्ला का दिल का द्वारा पड़ने से देहांत हो गया है। ये यकीन करने लायक खबर ही नहीं थी कि एक 40 साल के युवा की मौत दिल का द्वारा पड़ने से कैसे हो सकती है ?
एक एथलीट जो एक अच्छा खिलाडी भी रहा। और जो अपने व्यायाम को नियमानुसार लगातार करता रहा हो। उस इनसान को कैसे हार्ट अटैक से मौत आ सकती है?
युवाओं में बढ़ रहा है दिल के दौरे और हार्ट अटैक का खतरा
हार्ट अटैक के यूँ तो अनेको कारण है जो उम्र बढ़ने के साथ साथ बढ़ते जाते हैं। और ये बात भी सही की सबसे अधिक मौतें हार्ट अटैक के कारण ही होती हैं। लेकिन चिंता की बात ये है कि हार्ट अटैक कि घटनाएं कम उम्र के लोगों में काफी अधिक होने लगी हैं। और ये सवाल और अधिक गहराने लगा है कि अपनी फिटनेस पर इतना ध्यान रखने के बावजूद भी क्यों हो रहे हैं हार्ट अटैक पुनीत राजकुमार और सिद्धार्थ शुक्ला जैसे युवाओं में?
सामान्यता हार्ट अटैक या दिल का द्वारा पड़ने के मुख्य कारण जीवन शैली, धूम्रपान, हाई ब्लड प्रेशर और खाने पीने कि आदतों से जुड़े हैं। लेकिन हाल ही में हुई पुनीत राजकुमार और सिद्धार्थ शुक्ला की मौतें जिम वर्कआउट के बावजूद हुयी हैं।
तो क्या अत्यधिक वर्कआउट भी एक कारण है कम उम्र में हार्ट अटैक होने का वो भी ऐसे फिट दिखने वाले लोगों में?
जानें क्यों हो रहे हैं हार्ट अटैक पुनीत राजकुमार और सिद्धार्थ शुक्ला जैसे युवाओं को?
जीवन शैली और खाने पीने कि आदतें
आजकल कि भाग दौड़ वाली जिंदगी में बच्चों से लेकर युवाओं और वयस्कों में सबसे अलग दिखने और सबसे बड़ा बनने कि एक होड़ लगी है। उसके कारण चिंता और अवसाद ने जन्म लेना शुरू कर दिया है। आसपास के माहौल और साथी लोगों के प्रेशर में अक्सर कम उम्र में लोगों को कुछ गन्दी आदतें जैसे धूम्रपान, ड्रग्स और शराब कि लत लग जाती है।
बाहर का खाना पीना, जंक फूड्स का अधिक इस्तेमाल, व्यायाम की कमी और अधिक मात्रा में चिकनाई वाला भोजन और हाई कैलोरी भोजन जो मोटापा और ओबेसिटी को बढ़ावा देता है।
ये सारी चीज़ें कहीं न कहीं हार्ट पर बहुत अधिक दबाव डालते हैं और दिल का दौरा पड़ने का कारण बनते हैं।
धूम्रपान (Smoking)
धूम्रपान हार्ट अटैक का सबसे मुख्य कारण है। अक्सर कम उम्र में युवा बीड़ी सिग्रेटे पीना शुरू कर देते हैं। जिसके कारण हार्ट को ब्लड सप्लाई करने वाली आर्टरीज या खून के नसें सख्त होने लगती हैं और कार्डियोवैस्कुलर डिज़ीज़ का कारण बनती हैं। जिसके कारण ब्लड प्रेशर बढ़ने लगता है। और आर्टरीज में थक्का जमने का खतरा भी बढ़ जाता है जो हार्ट अटैक का सबसे बड़ा कारण है। शराब और धूम्रपान एक साथ मिलकर हार्ट को और अधिक नुक्सान पहुंचाते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर ( Hypertension)
बहुत अधिक व्यस्तता, काम और कामयाबी का दबाव भी ब्लड प्रेशर का कारण बनता है। ऐसे भोजन जो ब्लड प्रेशर कि बीमारी को बढ़ावा देते हैं। जैसे अधिक तला और चिकनाई वाला भोजन, अधिक नमक वाला भोजन, फ़ास्ट फ़ूड, पैकेज्ड फ़ूड, रिफाइंड फ़ूड, अधिक मीठा और बहुत अधिक कैलोरीज वाला भोजन ये सब ब्लड प्रेशर बढ़ने का काम करते हैं।
ऐसे भोजन खून में कोलेस्ट्रॉल कि मात्रा को बढ़ा देते हैं। कोरोनरी आर्टरीज में जब कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है तो यह ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक का कारण बनता है।
हाई ब्लड शुगर (Diabetes Mellitus)
हाई ब्लड शुगर भी आर्टरीज को नुक्सान पहुंचता है। जिसके कारण कोरोनरी आर्टरीज में रक्त के थक्का जमने का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज के मरीजों में ह्रदयघात और कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा दोगुना हो जाता है। हाई ब्लड शुगर साइलेंट हार्ट अटैक (बिना दर्द के हार्ट अटैक) का कारण भी बनता है।
नीदं की कमी, जरूरत से ज्यादा तनाव और चिंता
कामयाबी का दबाव, दूसरों से तुलना, काम न मिलने कि चिंता , दूसरो से ऊपर उड़ने को होड़, और बहुत अधिक वयस्तता। ये सब जरुरत से ज्यादा तनाव और चिंता का कारण बनते हैं। ओवरटाइम और बिना सोये घंटो तक काम करना भी तनाव का कारण बनता है। कम नींद (7-8 घंटे से कम), अधिक तनाव और चिंता, कोरोनरी आर्टरीज पर घातक असर डालते हैं जिसके कारण दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है।
अधिक मात्रा में शराब का सेवन (Alcoholism)
अधिक मात्रा में शराब का सेवन ब्लड शुगर को बढ़ता है। और शरीर के दुसरे मेटाबोलिक फंक्शन्स को भी डिस्टर्ब करता है। अधिकतर लोग चिंता से मुक्ति के लिए शराब का अधिक सेवन करते हैं जो हार्ट अटैक के खतरे को और अधिक बढ़ा देता है। अधिक मात्रा में शराब का सेवन करने से बॉडी में फैट भी बढ़ता है। जिसके कारण ब्लड प्रेशर और कोरोनरी आर्टरीज डिजीज का खतरा बढ़ जाता है।
असनतुलित व्यायाम (हैवी एक्ससरसीसेस और स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल)
संतुलित व्यायाम हमेशा हमारे शरीर के लिए अच्छा माना जाता है। लेकिन बहुत अधिक व्यायाम भी हार्ट पर बहुत अधिक प्रेशर डाल सकता है जो हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। जब हम व्यायाम करते हैं तो हमारा हार्ट रेट एक लेवल तक बढ़ता है और खून भी नसों के अंदर तेज़ी से दौड़ता है। लेकिन अगर साथ में कोई और कारण भी मिल जाए, या पहले से आर्टरीज में कोई हल्का सा अवरोध हो, तब हाई ब्लड प्रेशर और तेज़ हार्ट रेट भी हार्ट अटैक का कारण हो सकते है। इसलिए सधी हुई और शरीर की क्षमता के हिसाब से व्यायाम करना चाहिए।
इसके अतिरिक्त बॉडी बनाने के लिए अक्सर जिम ट्रेनर्स कुछ स्टेरॉइड्स लेने कि सलाह दे देते हैं। यह स्टेरॉइड्स युवाओं के लिए घातक सिद्ध हो सकते हैं। बहुत से खिलाडी भी अपनी पेरफरोमैंस को बढ़ने के लिए इन स्टेरॉइड्स का इस्तेमाल कर लेते हैं। जो शरीर पर बाद में उल्टा असर डालते हैं। ये स्टेरॉड्स शरीर के मेटाबोलिक फंक्शन पर असर डालते हैं जिसके कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।
अच्छा दिखने की चाह (बोटॉक्स का इस्तेमाल)
बहुत से सितारे और सेलेब्रिटीज़ अच्छा और जवान दिखने के लिए बोटॉक्स जैसी दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं। बोटॉक्स का काम होता हैं मांसपेशिओं को सिकोड़ना जिससे चेहरे कि झुर्रियां दिखना बंद हो जाती हैं। लेकिन बोटॉक्स हार्ट बीट्स को अनियमित कर देता है और Arrhythmia बीमारी का कारण बनता है। यह ब्लड क्लॉट, स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है।
प्राथमिक उपचार में देरी
प्राथमिक उपचार में देरी भी हार्ट अटैक से होने वाली मौतों का एक बड़ा कारण है । दरअसल लोग हार्ट अटैक के प्राथमिक लक्षणों को समझ ही नहीं पते है और मरीज के इलाज में देरी हो जाती है। मरीज को अस्पताल पहुँचने में देर से पहुंचना और और इलाज में देरी भी हार्ट अटैक से होने वाली मौतों का एक बड़ा कारण है। । ये माना जाता है की हार्ट अटैक के पहले 60 मिनट बहुत ही कारगर होते हैं मरीज की जान बचने के लिए।
अपने परिवार को किसी तरह की अनहोनी से बचने के लिए आपको हार्ट अटैक के प्राथमिक लक्षणों और उपचार के बारे में जानना बहुत जरूरी है।
हार्ट अटैक के ये लक्षण सामने आ सकते हैं
- सीने में जकड़न और तेज़ दर्द
- दर्द का कंधे, हाथों, जबड़े और गर्दन की और जाते हुए महसूस होना
- दर्द पेट के ऊपरी हिस्से में भी हो सकता है
- दर्द के साथ मरीज को साँस लेने में तकलीफ होना
- बिना किसी कारण बहुत अधिक और ठन्डे पसीना आना
- उलटी का मन और सीने में जलन
- घबराहट और चक्कर आना
दर्द बहुत तेज़ या हल्का भी हो सकता है, लेकिन जब भी ये लक्षण दिखाई दें इनको इग्नोर नहीं करना चाहिए।
प्राथमिक उपचार के लिए क्या करे
- अगर व्यक्ति होश में है तो फ़ौरन डिस्प्रिन की गोली को पानी में घोल कर दें। साथ में कोई गैस की दवाई भी दे दें। अगर हार्ट अटैक रक्त के थक्के के कारण हुआ है तो अस्पताल पहुँचने तक एस्प्रिन उसको रोकने में मदद करेगी।
- एम्बुलेंस को फ़ौरन बुलाएँ और मरीज को ऑब्सेर्वे करें की मरीज बेहोश तो नहीं हो रहा है।
- अगर मरीज बेहोश है तो उसे समतल जगह पर लिटाएं उसकी साँस और पल्स चेक करें और खुली हवा आने दें। मरीज के कपडे गले और छाती के आसपास से ढीले कर दें
- अगर साँस और पल्स नहीं मिल रही है तो फ़ौरन सीपीआर शुरू करें।
- सीपीआर करने के लिए आप अपनी दोनों हाथों को आगे पीछे रख कर लॉक कर लें। एक हाथ की हथेली मरीज की छाती पर रखें और कम्प्रेशन्स देना शुरू करें। ध्यान रहे आपकी बाहें सीधी रहें और आपके शरीर का सारा वजन मरीज की छाती पर पड़े। मरीज की छाती 5 से 6 सेंटीमीटर तक दबनी चाहिए। इससे बिलकुल न डरें की मरीज की हड्डी न टूट जाएँ।
- प्रतिमिनट करीब 100 से 110 कम्प्रेशन दें और बीच बीच में 25 से 30 कम्प्रेशन्स के बाद मुंह से मरीज को 2 बार साँस दें, ध्यान रहे मुंह से साँस देते समय मरीज की नाक बंद कर लें।
- जब तक एम्बुलेंस न आ जाये सीपीआर करते रहें, अगर एक जन तक जाये तो दुसरे साथी की मदद लें।
- कोशिश करें की मरीज जल्दी से जल्दी अस्पताल पहुँच जाये और 1 से 2 घंटे के अंदर इलाज शुरू हो जाये।
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