तरबूज गर्मी के मौसम का एक लाजवाब फल है जो अपनी मिठास के लिए जाना जाता है लेकिन क्या शुगर या मधुमेह के मरीज तरबूज खा सकते हैं कि नहीं खा सकते हैं? ये सवाल सारे ही मधुमेह के मरीजों के मन में उठता है तो आज हम इसी सवाल का जवाब देंगे कि क्या शुगर के मरीज तरबूज खा सकते हैं या नहीं?
लेकिन इससे पहले जान लेते हैं कि इसके बारे में साइंस क्या कहती है? तभी हम जान पाएंगे कि तरबूज के अंदर कितनी मिठास है और कौन कौन से दूसरे जरुरी अवयव तरबूज के अंदर होते हैं तो शुगर के मरीज के लिए फायदेमंद हो सकते हैं या नुकसानदेह। तो बने रहे मेरे साथ आखिर तक इस सवाल का जवाब जानने के लिए कि क्या शुगर के मरीज तरबूज खा सकते हैं या नहीं।
मधुमेह रोगी तरबूज खाएं या न खाएं?
तरबूज पानी से भरपूर होता है और प्यास कि शिद्दत को फ़ौरन कम कर देता है। इसमें लगभग 92% पानी होता है। इसके अलावा तरबूज विटामिन ए, विटामिन सी और लाइकोपीन का एक बहुत ही अच्छा श्रोत है।
किसी भी फल को शुगर के मरीज खा सकते हैं या नहीं खा सकते हैं ये इस बात पर निर्भर करता है कि उस फल का ग्लिसेमिक इंडेक्स और ग्लिसेमिक लोड कितना है। अगर किसी भी फल का ग्लिसेमिक इंडेक्स या ग्लिसेमिक लोड ज्यादा होता है तो वो फल शुगर के मरीजों के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। क्योंकि जिन फलों का ग्लिसेमिक इंडेक्स ज़्यादा होता है उनके खाने से ब्लड शुगर का लेवल बहुत तेजी से बढ़ता है।।
आपको एक example से समझाता हूँ मान लो किसी फल का ग्लिसेमिक इंडेक्स 100 है तो इसका मतलब होगा कि उस फल या भोजन के अंदर जितना भी ग्लूकोस है उसका 100% ग्लूकोस 2 घण्टे के अंदर ही आंतों से अब्सॉर्ब होकर खून में मिल जायेगा।
तरबूज का ग्लिसेमिक इंडेक्स
अब परेशानी कि बात ये है कि तरबूज का ग्लिसेमिक इंडेक्स होता है लगभग 72 जो बहुत ज़्यादा है। इसका मतलब ये हुआ कि तरबूज खाने से किसी भी शुगर के मरीज का ब्लड शुगर लेवल तेजी से बढ़ जायेगा यानि जितना भी ग्लूकोस तरबूज के अंदर है उसका 72% ग्लूकोस खून के अंदर मिल जायेगा।
तो क्या फिर शुगर के मरीज तरबूज बिलकुल भी नहीं खा सकते हैं? नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है, उसके लिए आपको पहले समझना होगा तरबूज के ग्लिसेमिक लोड के बारे में तभी आपको इस सवाल का सही जवाब मिल पायेगा कि शुगर के मरीज तरबूज खा सकते हैं या नहीं ?
तरबूज का ग्लिसेमिक लोड
ग्लिसेमिक लोड का मतलब होता है कि किसी भी भोजन या फल की एक सर्विंग के अंदर कितने ग्राम ग्लूकोस है या ग्लूकोस कि कितनी मात्रा है उस फल के अंदर मौजूद है। जब ग्लूकोस की इस मात्रा को उस फल के ग्लिसेमिक इंडेक्स से गुणा करके 100 से भाग दिया जाता है तो यह उस फल का ग्लिसेमिक लोड कहलाता है। अगर किसी फल का ग्लिसेमिक लोड 10 से कम है तो वो शुगर के मरीजों के सुरखित मने जाते हैं।
तरबूज कि एक कटोरी में या एक सर्विंग में करीब 8.5 ग्राम ग्लूकोस होता है इस हिसाब से तरबूज का ग्लिसेमिक लोड होता है 72×8.5/100 = ६.१। इसका मतलब ये हुआ कि शुगर के मरीज तरबूज खा सकते हैं लेकिन कम और सीमित मात्रा में।
शुगर के मरीज एक दिन में कितना तरबूज खा सकते हैं?
ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि आपका शुगर लेवल कितना है, आपकी शुगर कंट्रोल्ड है या uncontrolled है। अगर आपकी शुगर uncontrolled है तो आपको अपने डॉक्टर कि सलाह के बगैर कोई भी मीठा फल नहीं खाना चाहिए और न ही तरबूज।
लेकिन अगर आपका ब्लड शुगर कंट्रोल्ड है चाहे वो दवाइयों से है तो आप तरबूज कि एक से दो छोटी कटोरी एक दिन में एक बार खा सकते हैं यानि करीब 100 से 200 ग्राम तरबूज एक दिन में ।
एक और आपके लिए सलाह है कि जब भी तरबूज कहएँ खली पेट खाएं, सबसे अच्छा है कि अब सुबह खली पेट ही तरबूज खाएं और अपनी रेगुलर दवाइयां ज़रूर खाएं
दूसरी बात और धयान रखें कि जिस दिन आप ऐस अकोइ भी फल खाये जो मीठा हो तो उस दिन कसीस दुसरे भोजन कि मात्रा जिसमे कर्बोह्य्द्रतेस हो उसको कम कर दें इससे आपका शुगर बिलकुल कण्ट्रोल रहेगा।